“संगत का असर” एक शेर का बच्चा “बहादुर” की कहानी।

पुरानी बात है, एक जंगल में रंगा नाम का एक बहुत ही ताकतवर शेर रहता था, वह उस जंगल का राजा था। उसकी पत्नी का नाम मेवा था। रंगा के ताकत और सोहरत के चर्चे बहुत दूर दूर के जंगल तक फैले थे। रंगा के राज में उसके जंगल वाले बहुत खुशी और शांति का जीवन जी रहे थे। समय धीरे धीरे बितता गया कुछ सालों बाद रंगा की पत्नी मेवा को एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और साथ ही जंगलवाशियो को नया राजकुमार मिला, जिसका नाम बहादुर रखा गया। समय के साथ रंगा भी अब बूढ़ा हो गया था और वह जल्दी से राजकुमार बहादुर को जंगल का राजा घोषित करना चाहता था। मगर जब बहादुर मात्रा 6 महीने का था तो वह अपने साथियों के साथ खेलते खेलते जंगल में भटक गया। रंगा और उसकी माँ मेवा ने बहादुर को बहुत ढूढ़ा लेकिन वह नहीं मिला।

सबको लगा की बहादुर को किसी भेड़िये ने अपना शिकार बना लिया। लेकिन बहादुर जंगल से दूर निकल गया था। चलते चलते कुछ दूर पर बहादुर को बकरियों की एक टोली दिखी वह दौड़ के वहाँ गया और बकरियों के बच्चो के साथ खेलने लगा और उनको ही अपना दोस्त बना लिया। अब बहादुर एक शेर का बच्चा होते हुए भी बकरियों के साथ रहने लगा। धीरे धीरे बहादुर बड़ा होने लगा मगर बचपन से ही बकरियो के साथ रहने से वह बकरियो की तरह ही व्यवहार करने लगा था। जब कोई भेड़िया या जंगली जानवर बकरियो का शिकार करने आता था तो सभी बकरियो की तरह बहादुर भी भागने लगता था। क्योकि वह बकरियो के संगत में रहते रहते उनका ही रहन सहन और व्यवहार सिख गया था। इस तरह बहादुर एक शेर का बच्चा होते हुए भी जंगली जानवरों से डर कर भागने लगता था।
इसलिए कहा गया है कि
“संगत से गुन होत है संगत से गुन जात, बांस , फ़ांस और मिशरी एक ही भाव बिकात।।”

सीख: हमें गलत संगत में नहीं रहना चाहिए क्योंकि धीरे धीरे हमारे अंदर वह सारी गलत चीजे आ जाती है और हमें पता भी नहीं चलता।

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