Moral Story

 एक बाज एक पेड़ की डाली पर रहता था। उसी पेड़ की एक खोह में एक लोमड़ी भी रहती थी।

एक दिन जब लोमड़ी अपनी खोह से निकलकर बाहर शिकार के लिये जाती है तो बाज उसके खोह मे घुस जाता है और अपने बच्चों को खिलाने के लिए लोमड़ी के बच्चो को उठाकर ले आता है।

जब लोमड़ी लौटी, तो उसने बाज से अनुरोध किया कि वो उसके बच्चों को लौटा दे।

बाज को पता था कि लोमड़ी उसके घोंसले तक नहीं पहुँच पायेगी और उसने लोमड़ी के अनुरोध पर  कोई ध्यान नहीं दिया।

लोमड़ी पास के एक मंदिर मै गई और वहा से जलती हुई लकडी लेकर आई और उसने पेड़ के नीचे आग लगा दी । आग की गर्मी और धुएं से बाज डर गया।

और अपने बच्चो की जान बचाने के लिए वह जल्दी से लोमड़ी के पास गया और उसके बच्चों को लौटाकर उससे क्षमा माँगी।

सीख : किसी का बुरा करने से पहले सोच लें कि उसके साथ उससे भी बुरा होने वाला है।


मुर्ख भालू

: बारिश के मौसम मैं एक गाँव के नजदीक गहरी नदी बहती थी । उसी नदी के ऊपर वृक्ष के तने का एक पुल बना हुआ था । वह पुल इतना तंग था कि उस पर से एक समय के लिए एक ही व्यक्ति गुजर सकता था ।

तो एक दिन एसा आया जब एक भालू पुल से गुजरने लगा और पुल की अगली तरफ से दूसरा भालू आने लगा ।

हुआ एसा की वो दोनों भालू पुल के एकदम बिच में डटकर आमने-सामने आकर खड़े रह गये ।

एक भालू गुस्से में आकर बोला – “तू पीछे चला जा, पहले मुझे गुजरने दे और उसके बाद तू पुल से निकल जाना” । उसके उत्तर में दुसरे भालू ने कहा कि – “बिलकुल नहीं, इतना आगे अ चूका हु अब मै पीछे नहीं जाऊंगा, तू पीछे चला जा और मुझे पुल को पार करने दे” ।

इस बात पर दोनों भालू की बहस छिड गई, कोई मानने को तैयार ही नहीं था । दोनों अपनी जिद या फिर मुर्खता केह लीजिये उस पर अड़े हुए थे ।

देखते ही देखते में दोनों भालुओं के वजन से पुल कमजोर पड़ने लगा । नतीजा ये निकला की पुल टूट गया और दोनों भालू पुल पर से गिर पड़े और डूब के मर गये ।

सीख: मुर्ख व्यक्ति हमेशा अपनी जिद के कारण अनजाने में खुद को ही हानी पोहंचाता और इन भालुओ की तरह अपने पैर पे खुद ही कुल्हाड़ी मर्देता है ।

You may also like...